03-May-2025 | Loan Against Property
लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी (LAP) एक ऐसा लोन होता है जिसमें आप अपने घर या दुकान जैसी प्रॉपर्टी को बैंक के पास गिरवी रखकर पैसे उधार लेते हैं। यह लोन भारत में बहुत पसंद किया जाता है क्योंकि इसकी ब्याज दर (Interest Rate) कम होती है और आप ज्यादा पैसे ले सकते हैं, जैसे पर्सनल लोन की तुलना में।
लेकिन लोन लेने से पहले कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, ताकि बाद में कोई परेशानी ना हो और आपकी प्रॉपर्टी भी सुरक्षित रहे।
हर बैंक या फाइनेंशियल कंपनी के अपने कुछ नियम होते हैं कि वो किसे लोन देंगे:
उम्र: नौकरी वाले लोगों की उम्र 24 से 60 साल होनी चाहिए। बिजनेस करने वालों के लिए 60 से 65 साल तक की उम्र मान्य होती है (लोन चुकाने के समय तक)।
कमाई: आपकी आमदनी स्थिर होनी चाहिए। नौकरी वाले लोग अपनी सैलरी स्लिप दिखाते हैं और बिजनेस वाले लोग अपना अकाउंट बुक या इनकम टैक्स रिटर्न।
क्रेडिट स्कोर: अगर आपका CIBIL स्कोर 750 या उससे ऊपर है, तो लोन मिलने के ज्यादा चांस हैं और ब्याज दर भी कम हो सकती है।
प्रॉपर्टी के कागज: जिस प्रॉपर्टी को गिरवी रख रहे हैं, उसके सारे कागज सही और साफ-सुथरे होने चाहिए।
हर बैंक के नियम थोड़े अलग हो सकते हैं, इसलिए पहले से जांच कर लें।
बैंक आपकी प्रॉपर्टी की कीमत देखकर तय करता है कि आपको कितना लोन देगा। इसे Loan-to-Value (LTV) कहा जाता है।
भारत में आमतौर पर:
₹1 करोड़ तक के लोन पर, प्रॉपर्टी की कुल कीमत का 60% तक लोन मिल सकता है।
ये कितना मिलेगा, ये आपके घर की लोकेशन, हालत और किस टाइप की प्रॉपर्टी है उस पर भी निर्भर करता है।
LAP का ब्याज आमतौर पर कम होता है, लेकिन यह दो तरीकों से होता है:
फिक्स्ड रेट: पूरी लोन की अवधि में एक जैसा ब्याज रहेगा।
फ्लोटिंग रेट: बाज़ार के हिसाब से ब्याज कम-ज्यादा होता रहेगा।
लोन की अवधि अगर ज्यादा रखेंगे, तो EMI कम होगी, लेकिन कुल ब्याज ज्यादा देना पड़ेगा। कुछ बैंक 15 साल तक का समय भी देते हैं लोन चुकाने के लिए।
लोन लेते वक्त सिर्फ ब्याज ही नहीं, और भी कई चार्जेस लगते हैं:
प्रोसेसिंग फीस: लोन की फाइल बनाने के पैसे।
प्री-पेमेंट चार्ज: अगर आप लोन जल्दी चुकाना चाहें, तो कुछ बैंक चार्ज लेते हैं।
लीगल और वैल्यूएशन फीस: प्रॉपर्टी की जांच और कागजों की जांच के पैसे।
इन सबका अंदाजा पहले से लगा लें ताकि असली खर्चा समझ में आ जाए।
लोन पास होने के लिए सही कागज़ ज़रूरी हैं:
पहचान पत्र: आधार, पैन, पासपोर्ट आदि।
पता का सबूत: बिजली का बिल, रेंट एग्रीमेंट आदि।
कमाई के कागज़:
नौकरी वाले: सैलरी स्लिप, फॉर्म-16, बैंक स्टेटमेंट
बिजनेस वाले: ऑडिटेड अकाउंट्स, आईटी रिटर्न
प्रॉपर्टी के पेपर्स: टाइटल डीड, नक्शा पास, टैक्स रसीदें।
अगर आपके डॉक्युमेंट सही और अपडेटेड होंगे तो लोन जल्दी पास हो जाएगा।
प्रॉपर्टी पर लोन लेने से पहले आपको अपनी योग्यता, प्रॉपर्टी की वैल्यू, ब्याज दर, चार्जेस और कागजों की पूरी जानकारी होनी चाहिए। सोच-समझकर सही फैसला लेने से आपकी प्रॉपर्टी सुरक्षित रहेगी और लोन चुकाने में भी दिक्कत नहीं आएगी।